जोधपुर सम्भाग के पाली जिल्लें के तीर्थ स्थान
Abstract
राजस्थान के सुदूर ग्रामीण अंचलो की जनता में अनेकानेक लोक देवों एवं लोक तीर्थो की मान्यता है जिनकी गणना पौराणिक तीर्थो में तो नही की जा सकती मगर सामान्य जन की असीमित श्रध्धा एवं विश्वास के कारण इन्हें पवित्रता का हेतु मानकर तीर्थरूप में स्वीकार कर लिया गया है। इस शोधपूर्ण ग्रन्थ में इन सची स्थलों के उत्पति के निमितो, धार्मिक विश्वासों एवं इन स्थलों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक मेलों का समग्र विवेचन प्रस्तृत करने का प्रयत्न किया गया है।
वर्तमान समय में जब कि मानव भौतिकता की होड में अपने आपको भूल रहा है तीर्थ उसे स्वात्म की ओर ले जाने में मुख्य भूमिका निभा सकते है। तीर्थो पर जाकर सांसारिक कलेशों से सन्तप्त मन असीम शान्ति का अनुभव करता है। तीर्थो पर जाकर विद्यिवत कर्मकामण्ड करने पर मनुष्य के समस्त पाप ताप नष्ट हो जाते है। वहाँ जाने पर मनुष्य देवाधिदेव हो जाता है। क्योकि वह तीर्थ में जाने से पहले अपने शरीर को सदाचार, सद्विचार और सदुपासना द्वारा विशुध्ध बना लेता है। जिससे तीर्थयात्रा का महान उदेश्य सार्थक हो जाता है।