लघुरघुवरम् खण्डकाव्य में शिशुराघव
Abstract
'लघुरघुवरम्' खण्डकाव्य की रचना श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज ने की हैं। 'लघुरघुवरम्' काव्य का उपजीव्य रामायण है । इस काव्य में श्रीरामभद्राचार्य जी ने श्रीराम के शिशु अवस्था का वर्णन किया है । 'लघुरघुवरम्' में श्रीराम की स्तुति और जय-जयकार किया है।
जयति जगति लघु रघुवर हरिरति विशति भजत इह सुखमधिकरि रति ।
सुरसरिदिवयदनुचरित मलयति निखिल भुवनमथ पतितसमलयति ।।
जो परमेश्वर भजन करने वालों को अलौकिक सुख प्रदान करते है तथा करि अर्थात् गजेन्द्र ने भी जिनके श्रीचरणों की भक्ति की, जिसका पालन चरित्र गंगाजी के समान समस्त संसार को व्याप्त कर रहा है और भवसागर में पतित जीव को पवित्र कर रहा है ऐसे लघुबालरूप में वर्तमान रघुकुल में श्रेष्ठ एवं सम्पूर्ण जगत् में व्याप्त हरि श्रीराम की जय हो ।
Downloads
References
(१) लघुरघुवरम् (खण्डकाव्यम्) धर्मचक्रवर्ती जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज - (चित्रकूटधा ) प्रकाशक-श्रीतुलसीपीठ सेवान्यास आमोदवन, चित्रकूटधाम (म.प्र.)