बृहस्पतिस्मृति में अर्थव्यवस्था

बृहस्पतिस्मृति में अर्थव्यवस्था

Authors

  • Dr. Hetal M. Pandya

Abstract

सुदृढ़ एवं समृद्धिशाली राज्य के लिये आर्थिक दृढ़ता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती थी । अतः बृहस्पति तथा अन्य धर्मोर्थशास्त्रियों ने समान रूप से राज्य-प्रकृतियों में कोश को महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है। राज्य की समृद्धि के लिये ही नहीं वरन् इस संसार के अर्थ प्रधान होने के कारण भी बृहस्पति के मतानुयायी उसकी उपादेयता स्वीकार करते है। बार्हस्पत्य राज्य चिन्तन में कोश शब्द का व्यवहार केवल राजकीयकोश के संदर्भ में नहीं हुआ है। बृहस्पति ने कोश शब्द का प्रयोग कहीं व्यापक अर्थ में किया है। वास्तव में कोश शब्द से उनका अभिप्राय राज्य की अर्थनीति से है न कि सामान्य राजकोश से ।

बृहस्पति तथा अन्य अर्थशास्त्रियों ने कोश को विशेष महत्त्व प्रदान किया है। बृहस्पति धन को ही समस्त क्रियाओं का मूल तथा उद्गम स्थान मानते है। कौटिल्य भी धन को प्रधान महत्त्व प्रदान करते है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र परम्परा बृहस्पति से शिष्य परम्परा में प्राप्त की थी।

Downloads

Download data is not yet available.

References

१. कामन्दकीय ८/४, अर्थ. ६/१, मनु. १/२९४, शान्ति ६९६४, शुक्र १/६१ १. २. का. २/४, अर्थ १/२, बृ.स्पू. व्या. का. १/८

२ का.२/४ अर्थ १/२बृ.स्मृ,व्या का.७/१

३.धनमूलाः क्रियाः सर्वाः बृ.स्मृ.७/१

४. कोशपूर्वास्सर्वारंभाः । अर्थ २/८ कोशो हि भूपतीनां जीवितं न प्राणाः । का. १९/१६

Additional Files

Published

10-04-2018

How to Cite

Dr. Hetal M. Pandya. (2018). बृहस्पतिस्मृति में अर्थव्यवस्था. Vidhyayana - An International Multidisciplinary Peer-Reviewed E-Journal - ISSN 2454-8596, 3(5). Retrieved from https://vidhyayanaejournal.org/journal/article/view/1378
Loading...