पंकज मित्र की कहानियों में भूमंडलीकरण का आर्थिक प्रभाव ‘क्विजमास्टर’ कहानी के सन्दर्भ में
Abstract
समकालीन कथा परिदृश्य में अपनी ‘प्रभा से चकित - चल’ करने वाले कहानीकार पंकज मित्र जिस दौर में अपनी पहली कहानी लेकर आए थे, वह दौर आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक और धार्मिक चारों क्षेत्र में बड़े - बड़े परिवर्तनों का दौर रहा है l इस दौर में आश्चर्यजनक रूप से जय सियाराम और सीताराम का नाम जाप करने वाली इस धर्मभीरु देश की जनता के बीच धर्म के नाम पर कई चीजे चल रही थी l अर्थव्यवस्था के स्तर पर देश एकदम अलग प्रकार की परिस्थितियों से गुजर रहा था l तत्कालीन नरसिंह राव सरकार में वित्तमंत्री और आज के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पद संभालने के दो महीने के भीतर ही जब पहला बजट पेश किया था, तब भारत के पास इतनी विदेशी मुद्रा नहीं थी कि वह दो हफ्ते के आयात का भी खर्च बर्दाश्त कर सके l मिश्रित अर्थव्यवस्था की बुनियाद खोखली हो चुकी थी और सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियाँ लगातार घाटे में चल रही थी l अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और वर्ल्ड बैंक जैसी पूँजीवादी अर्थव्यवस्था समर्थक संस्थाओं को जैसे इसी दिन का इंतज़ार था l कर्ज के साथ - साथ उनकी शर्तों को मानना और अर्थव्यवस्था को बाहरी पूँजी के लिए खोलना - देश के सामने यह एक विकल्पहीन स्थिति थी l
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References
(१) मित्र, पंकज, ‘क्विजमास्टर’(क.), ‘क्विजमास्टर और अन्य कहानियाँ, आधार प्रकाशन, पंचकूला, संस्करण -२०११, पृष्ठ – ९
(२) वही, पृष्ठ – १४
(३) वही, पृष्ठ – १५
(४) वही, पृष्ठ – १७
(५) वही, पृष्ठ – १९
(६) वही, पृष्ठ – २०
(७) वही, पृष्ठ – २१
(८) वही, पृष्ठ – २२
(९) वही, पृष्ठ – २३