पंकज मित्रजी से साक्षात्कार
Abstract
साहित्य के क्षेत्र में साहित्य का मूल्यांकन करते हुए सृजनकर्ता के व्यक्तित्व की पहचान आवश्यक बन जाती है, क्योंकि जीवन और साहित्य का अभिन्न संबंध है l कोई भी साहित्यकार कितना भी तटस्थ क्यों न हों, फिर भी साहित्य में उसके जीवन के कुछ न अंश आ ही जाते हैं l साहित्यकार के व्यक्तित्व के मूल में पहुँचने के लिए पहले उसके जीवन में पहुँचने की आवश्यकता होती है l मैं श्री गोविन्द गुरु यूनिवर्सिटी से शोध कार्य कर रही हूँ और मेरे शोध का विषय ‘पंकज मित्रजी की कहानियों में भूमंडलीकरण का प्रभाव’ है l इसीलिए मैंने पंकज मित्रजी से साक्षात्कार किया और उनसे जुड़े हुए कई प्रश्नों की चर्चा की l पंकज मित्रजी समकालीन हिंदी साहित्य में एक सशक्त एवं प्रभावशाली लेखक हैं l समकालीन हिंदी कहानी अपने जिन युवा प्रतिभाओं की लेखनी पर भरोसा कर सकती है, उनमें से पंकज मित्रजी बहुत खास हैं l पंकज मित्रजी के चार कहानी संग्रहों और कुल ३७ कहानियाँ उनके पास होंगी – लेकिन उन्होंने अपनी रचनाओं में जिस सामर्थ्य से समकालीन विषय, विचार, संवेदना और यथार्थ को अभिव्यक्त किया है , वह उन्हें कथाकार के रूप में न केवल सफल बनाता है , बल्कि उन्हें कथाकार के रूप में एक विशिष्ट स्थान भी प्राप्त करवाता है l