हिंदी काव्य मे नारी की बदलती स्थिति
Keywords:
हिंदी काव्य, नारी, नारी की बदलती स्थितिAbstract
वैदिक काल में नारी को पूजा करने, यज्ञ करने और शिक्षा ग्रहण करने जैसे अनेक अधिकार प्राप्त थे। परंतु आदिकाल तक आते - आते नारी पुरुष की संपत्ति बन कर रह गई। आदिकालीन काव्य से स्पष्ट होता है कि भले ही नारी को स्वयं वर चुनने का अधिकार प्राप्त हो परंतु नारी की स्थिति समाज में इस प्रकार की थी जैसे कोई मदारी कठपुतली को अपनी उंगलियों पर नचाता है । नारी एक ओर जहां नाथों की निंदा का पात्र बनी वही सिद्धों ने उसे केवल वासनात्मक दृष्टि से देखा।भक्ति काल में कवियों ने नारी की निंदा और प्रशंसा दोनों की है । यह स्पष्ट करने हतु हिंदी विषय के शोध छात्र होने के नाते हिंदी काव्य मे नारी की बदलती स्थिति का जायचा करने एवं इस अनुसंधान के माध्यम से नारी के प्रति आदर जगाने हेतु प्रस्तुत शोध पत्र तैयार किया गया है ।
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References
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